सड़क पर नहीं निकल रही प्रवर्तन की टीम, ओवरलोड वाहनों की चांदी
ओवरलोड ट्रकों से चल रहे वसूली के खेल का खुलासा होने के बाद आरटीओ दफ्तर की प्रवर्तन की टीम सुस्त हो गई है। जांच की जद में आए एआरटीओ और पीटीओ फील्ड में नहीं निकल रहे हैं तो वहीं आरटीओ प्रवर्तन भी अधिक समय कार्यालय में ही गुजार रहे हैं। इससे ओवरलोडिंग करने वाले वाहनों की चांदी है। इसका नुकसान आरटीओ को राजस्व के रूप में हो रहा है।
जांच की जद में आने के बाद एआरटीओ एसपी श्रीवास्तव, पीटीओ इरशाद और अन्य सिपाही सड़क पर गाड़ियों का चालान करते नहीं दिख रहे हैं। आरटीओ के जिम्मेदारों के मुताबिक एआरटीओ के परिवार में कोई बीमार है। इससे वे ड्यूटी पर नहीं आ रहे हैं। वहीं पीटीओ भी कार्यालय में नहीं दिख रहे हैं। ओवरलोड वाहनों की जांच का जिम्मा आरटीओ प्रवर्तन के साथ ही एआरटीओ और पीटीओ के जिम्मे है। दो अधिकारियों का नाम एसटीएफ की सूची में आने के बाद सिर्फ आरटीओ प्रवर्तन ही ओवरलोड वाहनों या फिर अन्य मानकों की अनदेखी पर कार्रवाई करने वाले बचे हैं।
हजारों वाहन गुजरते हैं हाईवे से
पिछले पांच दिनों से वह भी फील्ड में कम ही निकले हैं। गोरखपुर के विभिन्न हाईवे से 20 से 25 हजार भारी वाहन गुजरते हैं। इनमें बड़ी संख्या में ओवरलोड वाहन गुजरते हैं। इनमें स्टोन डस्ट, गिट्टी, बोल्डर, सिमेंट लेकर आने वाले ओवरलोड वाहन प्रमुख है।
महीने में होती है 30 लाख तक की वसूली
आरटीओ की प्रवर्तन की टीम महीने भर में 30 लाख से अधिक राजस्व वसूलती है। एक दिन में 75 हजार से सवा लाख तक वसूली होती है। पिछले पांच दिनों आरटीओ को पांच लाख से अधिक राजस्व का नुकसान हो चुका है। कार्रवाई की जद में फंसने से स्कूली बसों के खिलाफ प्रस्तावित अभियान पर भी असर पड़ रहा है।